खेल 1 – परमेश्वर का राज्य बनाना

आयु: 6-12 वर्ष लड़कियाँ
समय: 30–45 मिनट

उद्देश्य:

लड़कियाँ मिलकर ईश्वर का “राज्य” बनाने का कार्य करेंगी, जहाँ वे मुख्य ईसाई मूल्यों को सीखेंगी और समझेंगी कि कैसे हर मूल्य उनके विश्वास यात्रा में योगदान देता है।

आवश्यक सामग्री:

  • कार्टुन ब्लॉक्स या गत्ते के बक्से
  • छोटे कागज के टुकड़े (हर कार्य के लिए एक) जिन पर कार्य और बाइबिल की आयतें लिखी हों
  • मार्कर, स्टिकर्स या छोटी सजावटें
  • एक पोस्टर या व्हाइटबोर्ड
  • एक छोटा क्रूस या मसीह का प्रतीक

खेल की तैयारी

  1. लड़कियों को टीमों में बाँटें: (प्रत्येक टीम में 2–4 लड़कियाँ हों, प्रतिभागियों की संख्या के अनुसार)।
  2. राज्य क्षेत्र तैयार करें: एक ऐसा क्षेत्र चुनें जहाँ टीमें अपने राज्य का निर्माण करेंगी।
  3. कार्य बाँटें: कागज पर कार्य लिखें जैसे – दूसरों की मदद करना, दयालुता दिखाना, क्षमा करना, सत्य बोलना और आभार व्यक्त करना।

कैसे खेलें

  1. कार्य चुनना: प्रत्येक टीम एक कागज उठाएगी जिसमें एक कार्य और बाइबिल आयत लिखी होगी।
  2. कार्य पूरा करना: टीम कार्य को पढ़ेगी, एक छोटा सा कार्य करेगी और उसके अर्थ पर चर्चा करेगी (नेता के मार्गदर्शन में)।
    • उदाहरण कार्य:
      • दूसरों की मदद करना: “अपनी टीम में एक-दूसरे की मदद करें या दूसरी टीम की सहायता करें।”
      • क्षमा करना: “हर लड़की स्कूल या घर पर क्षमा करने का एक तरीका साझा करे।”
      • आभार व्यक्त करना: “तख्ती पर तीन चीजें लिखें जिनके लिए आप आभारी हैं।”
  3. ब्लॉक जोड़ना: प्रत्येक कार्य के बाद, टीम अपने राज्य में एक ब्लॉक जोड़ती है, जो दर्शाता है कि कैसे ये मूल्य ईश्वर के राज्य का निर्माण करते हैं।
  4. टीम बदलना: जब हर टीम एक कार्य पूरा कर लेती है, तो वे नया कार्य उठाकर राज्य का निर्माण जारी रखेंगी।
  5. क्रॉस लगाना: खेल के अंत में, राज्य के शीर्ष पर एक छोटा क्रॉस रखें, जो यीशु को विश्वास की नींव के रूप में याद दिलाए।

चर्चा के प्रश्न

सभी टीमों के कार्य पूरे करने के बाद, इन प्रश्नों पर चर्चा करें:

  • आपका पसंदीदा कार्य कौन सा था और क्यों?
  • कैसे दया या क्षमा दिखाना ईश्वर के राज्य का निर्माण करता है?
  • आप घर या स्कूल में इन मूल्यों को कैसे जी सकते हैं?

अर्थ और सीख

समझाएं कि प्रत्येक ब्लॉक और कार्य एक ऐसा मूल्य दर्शाता है जो यीशु ने हमें अभ्यास करने के लिए सिखाया है, जैसे प्रेम, क्षमा, और दयालुता। जिस प्रकार उन्होंने एक भौतिक राज्य का निर्माण किया, वैसे ही ये मूल्य हमारे दिलों और समुदायों में ईश्वर का राज्य बनाते हैं। उन्हें याद दिलाएँ कि जब हम यीशु के समान जीवन जीते हैं, तो हम दूसरों को उनके प्रेम का अनुभव करने में मदद करते हैं।

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