मरकुस 4

अध्याय 4

वह फिर झील के किनारे उपदेश देने लगा: और ऐसी बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठी हो गई, कि वह झील में एक नाव पर चढ़कर बैठ गया और सारी भीड़ भूमि पर झील के किनारे खड़ी रही।

मत्ती – अध्याय 13:1 उसी दिन यीशु घर से निकलकर झील के किनारे जा बैठा।

लूका – अध्याय 8:4 जब बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई, और नगर नगर के लोग उसके पास चले आते थे, तो उस ने दृष्टान्त में कहा।


और वह उन्हें दृष्टान्तों में बहुत सी बातें सिखाने लगो, और अपने उपदेश में उन से कहा।


सुनो: देखो, एक बोनेवाला, बीज बाने के लिये निकला!


और बोते समय कुछ तो मार्ग के किनारे गिरा और पक्षियों ने आकर उसे चुग लिया।


और कुछ पत्थरीली भूमि पर गिरा जहां उस को बहुत मिट्टी न मिली, और गहरी मिट्टी न मिलने के कारण जल्द उग आया।


और जब सूर्य निकला, तो जल गया, और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गया।


और कुछ तो झाड़ियों में गिरा, और झाड़ियों ने बढ़कर उसे दबा लिया, और वह फल न लाया।


परन्तु कुछ अच्छी भूमि पर गिरा; और वह उगा, और बढ़कर फलवन्त हुआ; और कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा और कोई सौ गुणा फल लाया।

यूहन्ना – अध्याय 15:5 मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।


और उस ने कहा; जिस के पास सुनने के लिये कान हों वह सुन ले॥


10 जब वह अकेला रह गया, तो उसके साथियों ने उन बारह समेत उस से इन दृष्टान्तों के विषय में पूछा।

मत्ती – अध्याय 13:10 और चेलों ने पास आकर उस से कहा, तू उन से दृष्टान्तों में क्यों बातें करता है?

लूका – अध्याय 8:9 उसके चेलों ने उस से पूछा, कि यह दृष्टान्त क्या है? उस ने कहा;


11 उस ने उन से कहा, तुम को तो परमेश्वर के राज्य के भेद की समझ दी गई है, परन्तु बाहर वालों के लिये सब बातें दृष्टान्तों में होती हैं।

1 कुरिन्थियों – अध्याय 5:12 क्योंकि मुझे बाहर वालों का न्याय करने से क्या काम? क्या तुम भीतर वालों का न्याय नहीं करते?

कुलुस्सियों – अध्याय 4:5 अवसर को बहुमूल्य समझ कर बाहर वालों के साथ बुद्धिमानी से बर्ताव करो।

 1थिस्सलुनीकियों – अध्याय 4:12 कि बाहर वालों के साथ सभ्यता से बर्ताव करो, और तुम्हें किसी वस्तु की घटी न हो॥

1 तीमुथियुस – अध्याय 3:7 और बाहर वालों में भी उसका सुनाम हो ऐसा न हो कि निन्दित होकर शैतान के फंदे में फंस जाए।


12 इसलिये कि वे देखते हुए देखें और उन्हें सुझाई न पड़े और सुनते हुए सुनें भी और न समझें; ऐसा न हो कि वे फिरें, और क्षमा किए जाएं।

यशायाह – अध्याय 6:9 उसने कहा, जा, और इन लोगों से कह, सुनते ही रहो, परन्तु न समझो; देखते ही रहो, परन्तु न बूझो।

मत्ती – अध्याय 13:14 मैं उन से दृष्टान्तों में इसलिये बातें करता हूं, कि वे देखते हुए नहीं देखते; और सुनते हुए नहीं सुनते; और नहीं समझते।

लूका – अध्याय 8:10 तुम को परमेश्वर के राज्य के भेदोंकी समझ दी गई है, पर औरों को दृष्टान्तों में सुनाया जाता है, इसलिये कि वे देखते हुए भी न देखें, और सुनते हुए भी न समझें।

यूहन्ना – अध्याय 12:40 कि उस ने उन की आंखें अन्धी, और उन का मन कठोर किया है; कहीं ऐसा न हो, कि आंखों से देखें, और मन से समझें, और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूं।

प्रेरितों के काम – अध्याय 28:26 कि सुनते तो रहोगे, परन्तु न समझोगे, और देखते तो रहोगे, परन्तु न बुझोगे।

रोमियो – अध्याय 11:8 जैसा लिखा है, कि परमेश्वर ने उन्हें आज के दिन तक भारी नींद में डाल रखा है और ऐसी आंखें दी जो न देखें और ऐसे कान जो न सुनें।


13 फिर उस ने उन से कहा; क्या तुम यह दृष्टान्त नहीं समझते? तो फिर और सब दृष्टान्तों को क्योंकर समझोगे?


14 बोने वाला वचन बोता है।

मत्ती – अध्याय 13:19 जो कोई राज्य का वचन सुनकर नहीं समझता, उसके मन में जो कुछ बोया गया था, उसे वह दुष्ट आकर छीन ले जाता है; यह वही है, जो मार्ग के किनारे बोया गया था।


15 जो मार्ग के किनारे के हैं जहां वचन बोया जाता है, ये वे हैं, कि जब उन्होंने सुना, तो शैतान तुरन्त आकर वचन को जो उन में बोया गया था, उठा ले जाता है।


16 और वैसे ही जो पत्थरीली भूमि पर बोए जाते हैं, ये वे हैं, कि जो वचन को सुनकर तुरन्त आनन्द से ग्रहण कर लेते हैं।


17 परन्तु अपने भीतर जड़ न रखने के कारण वे थोड़े ही दिनों के लिये रहते हैं; इस के बाद जब वचन के कारण उन पर क्लेश या उपद्रव होता है, तो वे तुरन्त ठोकर खाते हैं।


18 और जो झाडियों में बोए गए ये वे हैं जिन्होंने वचन सुना।


19 और संसार की चिन्ता, और धन का धोखा, और और वस्तुओं का लोभ उन में समाकर वचन को दबा देता है। और वह निष्फल रह जाता है।

पर जो धनी 1 तीमुथियुस – अध्याय 6:9  होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं।

1 तीमुथियुस – अध्याय 6:17 इस संसार के धनवानों को आज्ञा दे, कि वे अभिमानी न हों और चंचल धन पर आशा न रखें, परन्तु परमेश्वर पर जो हमारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है।


20 और जो अच्छी भूमि में बोए गए, ये वे हैं, जो वचन सुनकर ग्रहण करते और फल लाते हैं, कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा, और कोई सौ गुणा॥


21 और उस ने उन से कहा; क्या दिये को इसलिये लाते हैं कि पैमाने या खाट के नीचे रखा जाए? क्या इसलिये नहीं, कि दीवट पर रखा जाए?

मत्ती – अध्याय 5:15 और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है।

लूका – अध्याय 8:16 कोई दीया बार के बरतन से नहीं छिपाता, और न खाट के नीचे रखता है, परन्तु दीवट पर रखता है, कि भीतर आने वाले प्रकाश पांए।

लूका – अध्याय 11:33 कोई मनुष्य दीया बार के तलघरे में, या पैमाने के नीचे नहीं रखता, परन्तु दीवट पर रखता है कि भीतर आने वाले उजियाला पाएं।


22 क्योंकि कोई वस्तु छिपी नहीं, परन्तु इसलिये कि प्रगट हो जाए;

मत्ती – अध्याय10:26 सो उन से मत डरना, क्योंकि कुछ ढपा नहीं, जो खोला न जाएगा; और न कुछ छिपा है, जो जाना न जाएगा।

लूका – अध्याय 12:2 कुछ ढपा नहीं, जो खोला न जाएगा; और न कुछ छिपा है, जो जाना न जाएगा।


23 और न कुछ गुप्त है पर इसलिये कि प्रगट हो जाए। यदि किसी के सुनने के कान हों, तो सुन ले।

मत्ती – अध्याय11:15 जिस के सुनने के कान हों, वह सुन ले।


24 फिर उस ने उन से कहा; चौकस रहो, कि क्या सुनते हो? जिस नाप से तुम नापते हो उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा, और तुम को अधिक दिया जाएगा।

मत्ती – अध्याय 7:2 क्योंकि जिस प्रकार तुम दोष लगाते हो, उसी प्रकार तुम पर भी दोष लगाया जाएगा; और जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा।

लूका – अध्याय 6:38 दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा: लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा॥


25 क्योंकि जिस के पास है, उस को दिया जाएगा; परन्तु जिस के पास नहीं है उस से वह भी जो उसके पास है; ले लिया जाएगा॥

मत्ती – अध्याय 13:12 क्योंकि जिस के पास है, उसे दिया जाएगा; और उसके पास बहुत हो जाएगा; पर जिस के पास कुछ नहीं है, उस से जो कुछ उसके पास है, वह भी ले लिया जाएगा।

मत्ती – अध्याय 13:25-29 पर जब लोग सो रहे थे तो उसका बैरी आकर गेहूं के बीच जंगली बीज बोकर चला गया।

26 जब अंकुर निकले और बालें लगीं, तो जंगली दाने भी दिखाई दिए। 27 इस पर गृहस्थ के दासों ने आकर उस से कहा, हे स्वामी, क्या तू ने अपने खेत में अच्छा बीज न बोया था फिर जंगली दाने के पौधे उस में कहां से आए? 28 उस ने उन से कहा, यह किसी बैरी का काम है। दासों ने उस से कहा क्या तेरी इच्छा है, कि हम जाकर उन को बटोर लें? 29 उस ने कहा, ऐसा नहीं, न हो कि जंगली दाने के पौधे बटोरते हुए उन के साथ गेहूं भी उखाड़ लो

लूका – अध्याय 8:18 इसलिये चौकस रहो, कि तुम किस रीति से सुनते हो क्योंकि जिस के पास है, उसे दिया जाएगा; और जिस के पास नहीं है, उस से वे वह भी ले लिया जाएगा, जिसे वह अपना समझता है॥

लूका – अध्याय 19:26 मैं तुम से कहता हूं, कि जिस के पास है, उसे दिया जाएगा; और जिस के पास नहीं, उस से वह भी जो उसके पास है ले लिया जाएगा।


26 फिर उस ने कहा; परमेश्वर का राज्य ऐसा है, जैसे कोई मनुष्य भूमि पर बीज छींटे।

मत्ती – अध्याय 13:24 उस ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया कि स्वर्ग का राज्य उस मनुष्य के समान है जिस ने अपने खेत में अच्छा बीज बोया।


27 और रात को सोए, और दिन को जागे और वह बीज ऐसे उगे और बढ़े कि वह न जाने।


28 पृथ्वी आप से आप फल लाती है पहिले अंकुर, तब बाल, और तब बालों में तैयार दाना।


29 परन्तु जब दाना पक जाता है, तब वह तुरन्त हंसिया लगाता है, क्योंकि कटनी आ पहुंची है॥

प्रकाशित वाक्य – अध्याय 14:15  फिर एक और स्वर्गदूत ने मन्दिर में से निकल कर, उस से जो बादल पर बैठा था, बड़े शब्द से पुकार कर कहा, कि अपना हंसुआ लगा कर लवनी कर, क्योंकि लवने का समय आ पंहुचा है, इसलिये कि पृथ्वी की खेती पक चुकी है।


30 फिर उस ने कहा, हम परमेश्वर के राज्य की उपमा किस से दें, और किस दृष्टान्त से उसका वर्णन करें?

मत्ती – अध्याय 13:31  उस ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया; कि स्वर्ग का राज्य राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बो दिया।

लूका – अध्याय 13:18 फिर उस ने कहा, परमेश्वर का राज्य किस के समान है और मैं उस की उपमा किस से दूं?

प्रेरितों के काम – अध्याय 2:41 सो जिन्हों ने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हजार मनुष्यों के लगभग उन में मिल गए।

प्रेरितों के काम – अध्याय 4:4 परन्तु वचन के सुनने वालों में से बहुतों ने विश्वास किया, और उन की गिनती पांच हजार पुरूषों के लगभग हो गई॥

प्रेरितों के काम – अध्याय 5:14 और विश्वास करने वाले बहुतेरे पुरूष और स्त्रियां प्रभु की कलीसिया में और भी अधिक आकर मिलते रहे।)

प्रेरितों के काम – अध्याय 5:19-20  परन्तु रात को प्रभु के एक स्वर्गदूत ने बन्दीगृह के द्वार खोलकर उन्हें बाहर लाकर कहा। 20 कि जाओ, मन्दिर में खड़े होकर, इस जीवन की सब बातें लोगों को सुनाओ।


31 वह राई के दाने के समान है; कि जब भूमि में बोया जाता है तो भूमि के सब बीजों से छोटा होता है।


32 परन्तु जब बोया गया, तो उगकर सब साग पात से बड़ा हो जाता है, और उसकी ऐसी बड़ी डालियां निकलती हैं, कि आकाश के पक्षी उसकी छाया में बसेरा कर सकते हैं॥


33 और वह उन्हें इस प्रकार के बहुत से दृष्टान्त दे देकर उन की समझ के अनुसार वचन सुनाता था।

मत्ती – अध्याय 13:34 ये सब बातें यीशु ने दृष्टान्तों में लोगों से कहीं, और बिना दृष्टान्त वह उन से कुछ न कहता था।

यूहन्ना – अध्याय 16:12 मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते।


34 और बिना दृष्टान्त कहे उन से कुछ भी नहीं कहता था; परन्तु एकान्त में वह अपने निज चेलों को सब बातों का अर्थ बताता था॥


35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उस ने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,।

मत्ती – अध्याय 8:18 यीशु ने अपनी चारों ओर एक बड़ी भीड़ देखकर उस पार जाने की आज्ञा दी।

मत्ती – अध्याय 8:23 जब वह नाव पर चढ़ा, तो उसके चेले उसके पीछे हो लिए।

लूका – अध्याय 8:22 फिर एक दिन वह और उसके चेले नाव पर चढ़े, और उस ने उन से कहा; कि आओ, झील के पार चलें: सो उन्होंने नाव खोल दी।


36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं।
37 तब बड़ी आन्धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी।
38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं?
39 तब उस ने उठकर आन्धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्त रह, थम जा”: और आन्धी थम गई और बड़ा चैन हो गया।
40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं?
41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?

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