लूका 14

अध्याय 14

1 फिर वह सब्त के दिन फरीसियों के सरदारों में से किसी के घर में रोटी खाने गया: और वे उस की घात में थे।

और देखो, एक मनुष्य उसके साम्हने था, जिसे जलन्धर का रोग था।

इस पर यीशु ने व्यवस्थापकों और फरीसियों से कहा; क्या सब्त के दिन अच्छा करना उचित है, कि नहीं परन्तु वे चुपचाप रहे।

मत्ती – अध्याय 12:10 और देखो, एक मनुष्य था, जिस का हाथ सूखा हुआ था; और उन्होंने उस पर दोष लगाने के लिये उस से पूछा, कि क्या सब्त के दिन चंगा करना उचित है?

तब उस ने उसे हाथ लगा कर चंगा किया, और जाने दिया।

और उन से कहा; कि तुम में से ऐसा कौन है, जिस का गदहा या बैल कुएं में गिर जाए और वह सब्त के दिन उसे तुरन्त बाहर न निकाल ले?

निर्गमन – अध्याय 23:5  फिर यदि तू अपने बैरी के गदहे को बोझ के मारे दबा हुआ देखे, तो चाहे उसको उसके स्वामी के लिये छुड़ाने के लिये तेरा मन न चाहे, तौभी अवश्य स्वामी का साथ देकर उसे छुड़ा लेना॥

व्यवस्थाविवरण – अध्याय 22:4 तू अपने भाई के गदहे वा बैल को मार्ग पर गिरा हुआ देखकर अनदेखी न करना; उसके उठाने में अवश्य उसकी सहायता करना॥

वे इन बातों का कुछ उत्तर न दे सके॥

जब उस ने देखा, कि नेवताहारी लोग क्योंकर मुख्य मुख्य जगहें चुन लेते हैं तो एक दृष्टान्त देकर उन से कहा।

जब कोई तुझे ब्याह में बुलाए, तो मुख्य जगह में न बैठना, कहीं ऐसा न हो, कि उस ने तुझ से भी किसी बड़े को नेवता दिया हो।

और जिस ने तुझे और उसे दोनों को नेवता दिया है: आकर तुझ से कहे, कि इस को जगह दे, और तब तुझे लज्ज़ित होकर सब से नीची जगह में बैठना पड़े।

10 पर जब तू बुलाया जाए, तो सब से नीची जगह जा बैठ, कि जब वह, जिस ने तुझे नेवता दिया है आए, तो तुझ से कहे कि हे मित्र, आगे बढ़कर बैठ; तब तेरे साथ बैठने वालों के साम्हने तेरी बड़ाई होगी।

नीतिवचन – अध्याय 25:6,7  राजा के साम्हने अपनी बड़ाई न करना और बड़े लोगों के स्थान में खड़ा न होना;
क्योंकि जिस प्रधान का तू ने दर्शन किया हो उसके साम्हने तेरा अपमान न हो, वरन तुझ से यह कहा जाए, आगे बढ़ कर विराज॥

11 और जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा॥

अय्यूब – अध्याय 22:29 चाहे दुर्भाग्य हो तौभी तू कहेगा कि सुभाग्य होगा, क्योंकि वह नम्र मनुष्य को बचाता है।

भजन संहिता – अध्याय 18:27 क्योंकि तू दीन लोगों को तो बचाता है; परन्तु घमण्ड भरी आंखों को नीची करता है।

नीतिवचन – अध्याय 29:23 मनुष्य को गर्व के कारण नीचा देखना पड़ता है, परन्तु नम्र आत्मा वाला महिमा का अधिकारी होता है।

मत्ती – अध्याय 23:12 जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा: और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा॥

याकूब – अध्याय 4:6 वह तो और भी अनुग्रह देता है; इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है।

याकूब – अध्याय 5:5 तुम पृथ्वी पर भोग-विलास में लगे रहे और बड़ा ही सुख भोगा; तुम ने इस वध के दिन के लिये अपने हृदय का पालन-पोषण करके मोटा ताजा किया।

12 तब उस ने अपने नेवता देने वाले से भी कहा, जब तू दिन का या रात का भोज करे, तो अपने मित्रों या भाइयों या कुटुम्बियों या धनवान पड़ोसियों न बुला, कहीं ऐसा न हो, कि वे भी तुझे नेवता दें, और तेरा बदला हो जाए।

13 परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्डों, लंगड़ों और अन्धों को बुला।

नहेमायाह – अध्याय 8:10,12 फिर उसने उन से कहा, कि जा कर चिकना चिकना भोजन करो और मीठा मीठा रस पियो, और जिनके लिये कुछ तैयार नहीं हुआ उनके पास बैना भेजो; क्योंकि आज का दिन हमारे प्रभु के लिये पवित्र है; और उदास मत रहो, क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ़ गढ़ है।

तब सब लोग खाने, पीने, बैना भेजने और बड़ा आनन्द मनाने को चले गए, क्योंकि जो वचन उन को समझाए गए थे, उन्हें वे समझ गए थे।

14 तब तू धन्य होगा, क्योंकि उन के पास तुझे बदला देने को कुछ नहीं, परन्तु तुझे धमिर्यों के जी उठने पर इस का प्रतिफल मिलेगा।

15 उसके साथ भोजन करने वालों में से एक ने ये बातें सुनकर उस से कहा, धन्य है वह, जो परमेश्वर के राज्य में रोटी खाएगा।

प्रकाशित वाक्य – अध्याय 19:9 और उस ने मुझ से कहा; यह लिख, कि धन्य वे हैं, जो मेम्ने के ब्याह के भोज में बुलाए गए हैं; फिर उस ने मुझ से कहा, ये वचन परमेश्वर के सत्य वचन हैं।

16 उस ने उस से कहा; किसी मनुष्य ने बड़ी जेवनार की और बहुतों को बुलाया।

मत्ती – अध्याय 22:2 स्वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिस ने अपने पुत्र का ब्याह किया।

17 जब भोजन तैयार हो गया, तो उस ने अपने दास के हाथ नेवतहारियों को कहला भेजा, कि आओ; अब भोजन तैयार है।

नीतिवचन – अध्याय 9:2,5 उस ने अपने पशु वध कर के, अपने दाखमधु में मसाला मिलाया है, और अपनी मेज़ लगाई है। 5 आओ, मेरी रोटी खाओ, और मेरे मसाला मिलाए हुए दाखमधु को पीओ।

18 पर वे सब के सब क्षमा मांगने लगे, पहिले ने उस से कहा, मैं ने खेत मोल लिया है; और अवश्य है कि उसे देखूं: मैं तुझ से बिनती करता हूं, मुझे क्षमा करा दे।

19 दूसरे ने कहा, मैं ने पांच जोड़े बैल मोल लिए हैं: और उन्हें परखने जाता हूं : मैं तुझ से बिनती करता हूं, मुझे क्षमा करा दे।

20 एक और ने कहा; मै ने ब्याह किया है, इसलिये मैं नहीं आ सकता।

21 उस दास ने आकर अपने स्वामी को ये बातें कह सुनाईं, तब घर के स्वामी ने क्रोध में आकर अपने दास से कहा, नगर के बाजारों और गलियों में तुरन्त जाकर कंगालों, टुण्डों, लंगड़ों और अन्धों को यहां ले आओ।

22 दास ने फिर कहा; हे स्वामी, जैसे तू ने कहा था, वैसे ही किया गया है; फिर भी जगह है।

23 स्वामी ने दास से कहा, सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए।

24 क्योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि उन नेवते हुओं में से कोई मेरी जेवनार को न चखेगा।

यह प्रभु की ओर से हुआ, और हमारे देखने में अद्भुत है, इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि परमेश्वर का राज्य तुम से ले लिया जाएगा; और ऐसी जाति को जो उसका फल लाए, दिया जाएगा।

मत्ती – अध्याय 22 :8 तब उस ने अपने दासों से कहा, ब्याह का भोज तो तैयार है, परन्तु नेवताहारी योग्य न ठहरे।

प्रेरितों के काम – अध्याय 13:46 तब पोलुस और बरनबास ने निडर होकर कहा, अवश्य था, कि परमेश्वर का वचन पहिले तुम्हें सुनाया जाता: परन्तु जब कि तुम उसे दूर करते हो, और अपने को अनन्त जीवन के योग्य नहीं ठहराते, तो देखो, हम अन्यजातियों की ओर फिरते हैं।

25 और जब बड़ी भीड़ उसके साथ जा रही थी, तो उस ने पीछे फिरकर उन से कहा।

26 यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और लड़के बालों और भाइयों और बहिनों बरन अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता।

व्यवस्थाविवरण – अध्याय 13:6 यदि तेरा सगा भाई, वा बेटा, वा बेटी, वा तेरी अर्द्धांगिन, वा प्राण प्रिय तेरा कोई मित्र निराले में तुझ को यह कहकर फुसलाने लगे, कि आओ हम दूसरे देवताओं की उपासना वा पूजा करें, जिन्हें न तो तू न तेरे पुरखा जानते थे,

व्यवस्थाविवरण – अध्याय 33:9 उसने तो अपने माता पिता के विषय में कहा, कि मैं उन को नहीं जानता; और न तो उसने अपने भाइयों को अपना माना, और न अपने पुत्रों को पहिचाना। क्योंकि उन्होंने तेरी बातें मानी, और वे तेरी वाचा का पालन करते हैं॥

मत्ती – अध्याय 10:37 जो माता या पिता को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं और जो बेटा या बेटी को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं।

रोमियो – अध्याय 9:13 जैसा लिखा है, कि मैं ने याकूब से प्रेम किया, परन्तु एसौ को अप्रिय जाना॥

प्रकाशित वाक्य – अध्याय 12:11 और वे मेम्ने के लोहू के कारण, और अपनी गवाही के वचन के कारण, उस पर जयवन्त हुए, और उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहां तक कि मृत्यु भी सह ली।

27 और जो कोई अपना क्रूस न उठाए; और मेरे पीछे न आए; वह भी मेरा चेला नहीं हो सकता।

मत्ती – अध्याय 16:24 तब यीशु ने अपने चेलों से कहा; यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप का इन्कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले।

मरकुस – अध्याय 8:34 उस ने भीड़ को अपने चेलों समेत पास बुलाकर उन से कहा, जो कोई मेरे पीछे आना चाहे, वह अपने आपे से इन्कार करे और अपना क्रूस उठाकर, मेरे पीछे हो ले।

2 तीमुथियुस – अध्याय 3:12  पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे।

28 तुम में से कौन है कि गढ़ बनाना चाहता हो, और पहिले बैठकर खर्च न जोड़े, कि पूरा करने की बिसात मेरे पास है कि नहीं?

नीतिवचन – अध्याय 24:27 अपना बाहर का काम काज ठीक करना, और खेत में उसे तैयार कर लेना; उसके बाद अपना घर बनाना॥

29 कहीं ऐसा न हो, कि जब नेव डालकर तैयार न कर सके, तो सब देखने वाले यह कहकर उसे ठट्ठों में उड़ाने लगें।

30 कि यह मनुष्य बनाने तो लगा, पर तैयार न कर सका?

31 या कौन ऐसा राजा है, कि दूसरे राजा से युद्ध करने जाता हो, और पहिले बैठकर विचार न कर ले कि जो बीस हजार लेकर उसका साम्हना कर सकता हूं, कि नहीं?

32 नहीं तो उसके दूर रहते ही, वह दूतों को भेजकर मिलाप करना चाहेगा।

33 इसी रीति से तुम में से जो कोई अपना सब कुछ त्याग न दे, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता।

34 नमक तो अच्छा है, परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह किस वस्तु से स्वादिष्ट किया जाएगा।

मत्ती – अध्याय 5:13 तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए।

मरकुस – अध्याय 9:50 नमक अच्छा है,पर यदि नमक की नमकीनी जाती रहे, तो उसे किस से स्वादित करोगे? अपने में नमक रखो, और आपस में मेल मिलाप से रहो॥

35 वह न तो भूमि के और न खाद के लिये काम में आता है: उसे तो लोग बाहर फेंक देते हैं: जिस के सुनने के कान हों वह सुन ले॥

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