अध्याय 8
1और जब उस ने सातवीं मुहर खोली, तो स्वर्ग में आधे घंटे तक सन्नाटा छा गया।
2 और मैं ने उन सातों स्वर्गदूतों को जो परमेश्वर के साम्हने खड़े रहते हैं, देखा, और उन्हें सात तुरिहयां दी गईं॥
मत्ती – अध्याय 18:10 काना होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इस से भला है, कि दो आंख रहते हुए तू नरक की आग में डाला जाए।
लूका – अध्याय 1:19 स्वर्गदूत ने उस को उत्तर दिया, कि मैं जिब्राईल हूं, जो परमेश्वर के साम्हने खड़ा रहता हूं; और मैं तुझ से बातें करने और तुझे यह सुसमाचार सुनाने को भेजा गया हूं।
2 इतिहास – अध्याय 29:25-28 फिर उसने दाऊद और राजा के दशीं गाद, और नातान नबी की आज्ञा के अनुसार जो यहोवा की ओर से उसके नबियों के द्वारा आई थी, झांझ, सारंगियां और वीणाएं लिए हुए लेवियों को यहोवा के भवन में खड़ा किया।
तब लेवीय दाऊद के चलाए बाजे लिए हुए, और याजक तुरहियां लिए हुए खड़े हुए।
तब हिजकिय्याह ने वेदी पर होमबलि चढ़ाने की आज्ञा दी, और जब होमबलि चढ़ने लगी, तब यहोवा का गीत आरम्भ हुआ, और तुरहियां और इस्राएल के राजा दाऊद के बाजे बजने लगे।
और मण्डली के सब लोग दण्डवत करते और गाने वाले गाते और तुरही फूंकने वाले फूंकते रहे; यह सब तब तक होता रहा, जब तक होमबलि चढ़ न चुकी।
3 फिर एक और स्वर्गदूत सोने का धूपदान लिये हुए आया, और वेदी के निकट खड़ा हुआ; और उस को बहुत धूप दिया गया, कि सब पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं के साथ उस सोनहली वेदी पर जो सिंहासन के साम्हने है चढ़ाए।
निर्गमन – अध्याय 30:1 फिर धूप जलाने के लिये बबूल की लकड़ी की वेदी बनाना।
4 और उस धूप का धुआं पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं सहित स्वर्गदूत के हाथ से परमेश्वर के साम्हने पहुंच गया।
.5 और स्वर्गदूत ने धूपदान ले कर उस में वेदी की आग भरी, और पृथ्वी पर डाल दी, और गर्जन और शब्द और बिजलियां और भूईंडोल होने लगा॥
2 शमूएल – अध्याय 22:8 तब पृथ्वी हिल गई और डोल उठी; और आकाश की नेवें कांपकर बहुत ही हिल गई, क्योंकि वह अति क्रोधित हुआ था।
1 राजा – अध्याय 19:11 उसने कहा, निकलकर यहोवा के सम्मुख पर्वत पर खड़ा हो। और यहोवा पास से हो कर चला, और यहोवा के साम्हने एक बड़ी प्रचण्ड आन्धी से पहाड़ फटने और चट्टानें टूटने लगीं, तौभी यहोवा उस आन्धी में न था; फिर आन्धी के बाद भूंईडोल हूआ, तौभी यहोवा उस भूंईडोल में न था।
प्रेरितों के काम – अध्याय 4:31 जब वे प्रार्थना कर चुके, तो वह स्थान जहां वे इकट्ठे थे हिल गया, और वे सब पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गए, और परमेश्वर का वचन हियाव से सुनाते रहे॥
6 और वे सातों स्वर्गदूत जिन के पास सात तुरिहयां थी, फूंकने को तैयार हुए॥
7 पहिले स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी, और लोहू से मिले हुए ओले और आग उत्पन्न हुई, और पृथ्वी पर डाली गई; और पृथ्वी की एक तिहाई जल गई, और पेडों की एक तिहाई जल गई, और सब हरी घास भी जल गई॥
यहेजकेल – अध्याय 38:22 और मैं मरी और खून के द्वारा उस से मुकद्दमा लड़ूंगा; और उस पर और उसके दलों पर, और उन बहुत सी जातियों पर जो उसके पास होंगी, मैं बड़ी झड़ी लगाऊंगा, और ओले और आग और गन्धक बरसाऊंगा।
यशायाह – अध्याय 2:13 और लबानोन के सब देवदारों पर जो ऊंचे और बड़ें हैं;
8 और दूसरे स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी, तो मानो आग सा जलता हुआ एक बड़ा पहाड़ समुद्र में डाला गया; और समुद्र का एक तिहाई लोहू हो गया।
यिर्मयाह – अध्याय 51:25 हे नाश करने वाले पहाड़ जिसके द्वारा सारी पृथ्वी नाश हुई है, यहोवा की यह वाणी है कि मैं तेरे विरुद्ध हूँ और हाथ बढ़ा कर तुझे ढांगों पर से लुढ़का दूंगा और जला हुआ पहाड़ बनाऊंगा।
आमोस – अध्याय 7:4 परमेश्वर यहोवा ने मुझे यह दिखाया: और क्या देखता हूं कि परमेश्वर यहोवा ने आग के द्वारा मुकद्दमा लड़ने को पुकारा, और उस आग से महासागर सूख गया, और देश भी भस्म हुआ चाहता था।
यहेजकेल – अध्याय 14:19 यदि मैं उस देश में मरी फैलाऊं और उस पर अपनी जलजलाहट भड़का कर उसका लोहू ऐसा बहाऊं कि वहां के मनुष्य और पशु दोनों नाश हों,
9 और समुद्र की एक तिहाई सृजी हुई वस्तुएं जो सजीव थीं मर गई, और एक तिहाई जहाज नाश हो गया॥
10 और तीसरे स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी, और एक बड़ा तारा जो मशाल की नाईं जलता था, स्वर्ग से टूटा, और नदियों की एक तिहाई पर, और पानी के सोतों पर आ पड़ा
यशायाह – अध्याय 14:12 हे भोर के चमकने वाले तारे तू क्योंकर आकाश से गिर पड़ा है? तू जो जाति जाति को हरा देता था, तू अब कैसे काट कर भूमि पर गिराया गया है?
11 और उस तोर का नाम नागदौना कहलाता है, और एक तिहाई पानी नागदौना सा कड़वा हो गया, और बहुतेरे मनुष्य उस पानी के कड़वे हो जाने से मर गए॥
रूत – अध्याय 1:20 उसने उन से कहा, मुझे नाओमी न कहो, मुझे मारा कहो, क्योंकि सर्वशक्तिमान् ने मुझ को बड़ा दु:ख दिया है।
निर्गमन – अध्याय 15:23 फिर मारा नाम एक स्थान पर पहुंचे, वहां का पानी खारा था, उसे वे न पी सके; इस कारण उस स्थान का नाम मारा पड़ा।
यिर्मयाह – अध्याय 19:15 इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यों कहता हे, देखो, सब गांवों समेत इस नगर पर वह सारी विपत्ति डालना चाहता हूँ जो मैं ने इस पर लाने को कहा है, क्योंकि उन्होंने हठ कर के मेरे वचन को नहीं माना है।
यिर्मयाह – अध्याय 23:15 इस कारण सेनाओं का यहोवा यरूशलेम के भविष्यद्वक्ताओं के विषय में यों कहता है, देख, मैं उन को कड़ुवी वस्तुएं खिलाऊंगा और विष पिलाऊंगा; क्योंकि उनके कारण सारे देश में भक्तिहीनता फैल गई है।
12 और चौथे स्वर्गदूत ने तुरही फूंकी, और सूर्य की एक तिहाई, और चान्द की एक तिहाई और तारों की एक तिहाई पर आपत्ति आई, यहां तक कि उन का एक तिहाई अंग अन्धेरा हो गया और दिन की एक तिहाई में उजाला न रहा, और वैसे ही रात में भी॥
यशायाह – अध्याय 13:10 क्योंकि आकाश के तारागण और बड़े बड़े नक्षत्र अपना प्रकाश न देंगे, और सूर्य उदय होते होते अन्धेरा हो जाएगा, और चन्द्रमा अपना प्रकाश न देगा।
आमोस – अध्याय 8:9 परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, उस समय मैं सूर्य का दोपहर के समय अस्त करूंगा, और इस देश को दिन दुपहरी अन्धियारा कर दूंगा।
13 और जब मैं ने फिर देखा, तो आकाश के बीच में एक उकाब को उड़ते और ऊंचे शब्द से यह कहते सुना, कि उन तीन स्वर्गदूतों की तुरही के शब्दों के कारण जिन का फूंकना अभी बाकी है, पृथ्वी के रहने वालों पर हाय! हाय! हाय!